Site icon Extra Report – सुर्खियों के पीछे की सच्चाई, निष्पक्ष और बेबाक रिपोर्ट्स

हो गई है पीर पर्वत-सी-दुष्यंत कुमार कविता | Dushyant Kumar Kavita

हो गई है पीर पर्वत-सी dushyant kumar kavita

हो गई है पीर पर्वत-सी-दुष्यंत कुमार

हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,

इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।

आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,

शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए।

हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में,

हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए।

सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,

सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।

मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,

हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।

बिना दवा blood pressure हो सकता है कंट्रोल,अपनी आदतों में करें ये बदलाव

Exit mobile version